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अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!... वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥ धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥ कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥ किया तपहिं भागीरथ https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa

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