भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।। धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥ अर्थ- आपकी जटाओं से ही गंगा बहती है, आपके गले में मुंडमाल है। बाघ https://deannzydg.bloggerchest.com/29663120/the-definitive-guide-to-lyrics-shiv-chalisa